गुरुवार, 2 अगस्त 2012

मदारी पार्टी अब चुनाव लड़ेगी ?

पिछले एक हफ्ते से जंतर मंतर पर चल रहा तमाशा अब थमने जा रहा है .टीम अन्ना अपना तम्बू उखाड़ने जा रही है .जनता, मीडिया और सरकार की उपेक्षा से आहत टीम अन्ना ने अपनी दूकान समेटने से पहले एक शिगूफा ज़रूर छोड़ा है कि अब वो राजनीतिक खेल दिखायेगी .टेलीविजन पर एक विज्ञापन आता है - "आज कुछ तूफानी करते है ",तो टीम अन्ना अब कुछ तूफानी करने वाली है .टीम अन्ना का ये रुख स्पष्ट होते ही मोबाइल कंपनियों ने अपनी कमाई शुरू कर दी .एस एम एस के बहाने जनता के जेब काटने का खुला खेल फर्रुखाबादी शुरू हो चूका है .अगर आपकी राय हाँ या ना है तो आप भी इसमें हिस्सा ले सकते है .

टीम अन्ना के सक्रिय  सदस्य " दी ग्रेट अरविन्द केजरीवाल " का अभी कल तक ये कहना था की वो खुद को बलिदान कर देंगे ,पर अनशन नहीं तोड़ेंगे .इस बार टीम अन्ना नया आइटम पेश कर रही थी ,हमेशा की तरह भ्रष्टाचार पर सीधा हमला नहीं किया जा  रहा था .इस बार के शो का नाम था "१५ भ्रष्ट मंत्रियो को जेल भेजो ".इस सम्बन्ध में स्वयं अन्ना का कहना था की इन मंत्रियो के जेल जाने तक अनशन चलता रहेगा .इस घोषणा  के साथ वो स्वयं भी मंच पर उतर  आये थे ,आज उनके अनशन का तीसरा दिन है .पर तमाशे में कुछ गर्मी नहीं आई .भीड़ जरूर जुटी पर मीडिया और सरकार ने ख़ास तवज्जो ना दिया .टीम अन्ना के भोपू "कुमार विश्वास ", जो घटिया फूहड़ मंचीय कविताओं के लिए जाने जाते है ,मंच से और टी वी चैनलों पर यथाशक्ति चिल्लाते रहे .पर तमाशे में  रंग न भर सका .....लेकिन ......लेकिन अचानक टीम अन्ना की आंखे खुल गयी .उन्हें बोधि प्राप्त हो गया .लोकतांत्रिक संस्थाओ को गरियानी वाली टीम अन्ना अधिक  देर होने से पहले अपने आन्दोलन  की निरर्थकता को भांप गयी .अब वो गीता के कर्मयोग का पालन करते हुए जनता के दरवाजे पर जाएगी .उनसे वोट की भीख  मांगेगी .अपनी सरकार बनाएगी और फिर लोकपाल विधेयक पास कराएगी .इस पूरे कार्यक्रम में कुमार विश्वास और अरविन्द केजरीवाल जनता का उत्तेजक मनोरंजन करते रहेंगे ........

आज टीम अन्ना ने बिलकुल उन नेताओं जैसा व्यवहार किया है जिनके खिलाफ वो अब तक लडती आई है .मध्यवर्ग के जिस असंतोष का नेतृत्व टीम अन्ना कर रही थी ,आज उस असंतोष में थोडा और इजाफा हुआ है .जिस तरह नेता जनता को  ठगते आये है उसी तरह आज टीम अन्ना ने भी उसे  ठगा है .आज लडखडाती  टीम अन्ना के पास कोई सहारा नहीं है .भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके अहिंसक ,गांधीवादी आन्दोलन  की हवा निकल गयी है .टीम अन्ना के सदस्यों को तो गांधी दर्शन का ग भी पता नहीं होगा .अब तो ये आशंका होने लगी है किअरविन्द केजरीवाल अपनी राजनीतिक हसरतो को पूरा करने के लिए कहीं अन्ना का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे थे .आज उन्होंने इस आन्दोलन   कि तुलना जे पी आन्दोलन से कीऔर कहा कि लालू और मुलायम जैसे नेता इसी आन्दोलन से पैदा हुए .तो क्या अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन का सिर्फ इतना ही हासिल है कि इससे अरविन्द केजरीवाल और कुमार  विश्वास जैसे नेता पैदा होंगे ?और ये वही सब करेंगे जो लालू और मुलायम कर रहे है .?

बाबा रामदेव और टीम अन्ना की  राजनीतिक हसरतें अब किसी से छुपी नहीं है .दुखद तो ये है कि जनता को जो सब्जबाग इन्होने परोसे ,अब उसको दुहने की तैयारी कर रहे  है .अगस्त २०१० में टीम अन्ना ने जो  फसल बोई  थी  अब उसको काटने की  बारी है .....और मासूम जनता इन मदारियों के नए खेल का इन्तजार कर रही है .

7 टिप्‍पणियां:

  1. नीरज जी ,
    आपने बेबाक लिखा , बिंदास लिखा । और तेवर भी क्या खूब रखे । बस एक बात समझ नहीं आई ,टीम टाम ने तमाशा किया भोंपू बने और बनाए गए , आम लोगों को ठगा भी और अंत में अपनी राजनीतिक हसरतें भी जग जाहिर कर दीं । मान ली सारी बातें , बस एक बात आपसे छूट गई वो ये कि नौ दिन तक भूखे बैठे उन तमाम लोगों सिरे से उपेक्षित कर गए । और एक आखिरी बात ये भी कि विकल्प क्या बचा अब , कोई नया रास्ता , कोई नई राह । उम्मीद है कि आगे इन विषयों पर पढने को अवश्य मिलेगा ।

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  2. अजय जी , आपकी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ .मुझे कोफ़्त इस बात का है की अगर यही अंजाम होना था ,तो इतने दिनों तक ये आदर्शवादी ढोंग क्यों रचा गया .लोकतांत्रिक संस्थाओ के प्रति अमर्यादित टिप्पणी क्यों की गयी ,हमेश चुनाव से दूर रहने की कसमे क्यों खाई जाती रही .ये प्रश्न मुझे परेशान करते है .

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  3. राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
    टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।

    जागे नीम-हकीम, दवा भ्रष्टों को दे दी ।
    पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।

    ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
    एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।

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  4. रविकर जी, क्या खूब कहा आपने

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  5. ये मदारी इस लिये बने ताकि जनता मे अपनी पहचान बना सकें इनकी मंशा तो पहले ही चुनाव लडने की थी मुफ्त मे अपना प्रचार इस से बेहतर कहाँ हो सकता था?

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  6. नीरज जी, दोष आपका नहीं है। अन्धेरे की अभ्यस्त आँखें उजाला सहन नहीं कर पाती हैं, शायद आपका भी वही हाल है।

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