सोमवार, 11 जून 2012

......और अब राधे माँ

निर्मल बाबा के बाद अब राधे माँ चर्चा में है .निर्मल बाबा की तरह   राधे माँ की कहानी भी  एक सामान्य शख्स के भगवान बनने की कहानी है .आज राधे माँ के लाखों भक्त है जो उनके लिए पलक पावड़े बिछाये रहते है .बालीवुड की कई हस्तियाँ भी उनकी मुरीद है .पंजाब के एक छोटे से शहर होशियार पुर के एक मध्यवर्गीय परिवार  में  रहने वाली राधे माँ अज करोड़ो की संपत्ति की  है .बिना कोई ट्रस्ट बनाये उन्होंने करोड़ो की निजी संपत्ति बना ली है .राधे माँ सरकार को इनकम टैक्स भी नहीं देती है ,फिर  तो उनकी  सारी कमाई' काली कमाई "कही जाएगी .
राधे माँ का केस भी निर्मल   बाबा की तरह अतार्किक श्रद्धा ,अंध भक्ति और चमत्कारों के प्रति गहन आस्था का मामला है .
इधर जो मामले प्रकाश में आ रहे है उन्हें देख कर तो यही लगता है कि जैसे व्यक्ति पूजा में हम कोई रिकार्ड बनाने वाले है .व्यक्ति पूजा की दुर्लभ परंपरा हमे देश में सदियों से फल फूल रही है .बाबा संस्कृति हर युग में पनपी और परवान चढ़ी .यह एक तरह से हमारा सांस्कृतिक और बौधिक पिछड़ापन है .हम चमत्कार झड फूंक और जादू टोनों  की दुनिया में अब भी जी रहे है .ताज्जुब होता है की जहा एक वोर हम ज्ञान  विज्ञानं और तकनिकी में दिन रात नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे है वही दूरी वोर अंधविश्वास की  में दुबकी भी लगा रहे है .
यह विज्ञापन और मार्केटिंग का युग है .प्रचार प्रसार और नेटवर्किंग के सहारे आज बाबागिरी एक धधा बन गया है .





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