गुरुवार, 12 जुलाई 2012

रुस्तम-ए -हिन्द को आखिरी सलाम

आपको ७० के दशक के कई ऐसे फ़िल्मी दृश्य याद होंगे ,जिसमे हीरोइन को कुछ गुंडों ने घेर लिया हो या फिल्म का नायक किसी संकट में हो .तभी स्क्रीन पर ६ फुट २ इंच का एक पहलवानी शख्स प्रकट होता है जो देखते ही देखते सारे गुंडों को अपने देशी अंदाज से धूल चटा देता है .उधर परदे पर एक्शन सीन  चल रहा होता है और इधर आपकी नशें फड़क रही होती है .

या फिर भारतीय टेलीविजन इतिहास के पहले मेगा सीरिअल "रामायण" के हनुमान को कोई कैसे भुला सकता है .जिसने हर घर और हर मन में अपनी पैठ बना ली थी .

हमारे  मष्तिस्क में हनुमान की एक स्थायी छवि अंकित करने वाले कलाकार दीदार सिंह रंधावा उर्फ़ दारा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे ......

अपने ६०  साल के एक्टिंग करियर में दारा सिंह ने फिल्म और टेलीविजन के कई यादगार किरदार निभाए .सन १९६२ में कुश्ती पर बनी फिल्म "संगदिल"से एक लोकप्रिय अभिनेता के जिस सफ़र की शुरुआत हुई वो २००७ में बनी "जब वी मेट " तक जारी रहा. दारा सिंह हिंदी सिनेमा के सम्भव्तः पहले ऐसे सहकलाकार थे जिनके हर सीन पर हीरो से अधिक तालियाँ और सीटियाँ बजती थी .उनकी संतुलित अदाकारी और संवाद अदायगी हिंदी सिनेमा के दर्शक कभी नहीं भूल पाएंगे .अभिनेता प्रदीप की तरह दारा सिंह भी  धार्मिक फिल्मों के एक अनिवार्य कलाकार बन गए  थे .

१९३८ में पंजाब के अमृतसर में जन्मे दारा सिंह ने अपने करियर की शुरुवात एक पहलवान के रूप में  की ,जिसमे उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ख्याति मिली .उन्होंने मलेशिया और भारत की तरफ से "विश्व रेस्ट्लर चैम्पियनशिप" का खिताब भी जीता .स्वदेश वापसी के बाद वो हिंदी और पंजाबी सिनेमा में सक्रिय हो गए .एक अभिनेता और निर्माता के रूप में उन्होंने पिछले ६० सालो तक सिनेमा को अपने महत्वपूर्ण योगदान से नवाजा .

अपने निजी जीवन में भी दारा सिंह ने कई विविघतापूर्ण भूमिकाओं  का सफलता पूर्वक निर्वहन किया .एक पहलवान से लेकर एक  अभिनेता ,निर्माता और एक राजनेता के रूप में उन्होंने अपनी लोकप्रियता में चार चाँद लगाये .उन्होंने एक भरपूर और कामयाब जिंदगी जी .वो उम्र के आखिरी पड़ाव तक सक्रिय रहे ,उन्होंने अपने प्रशंसकों को कभी ये लगने ही नहीं दिया कि हर शख्स कि जिंदगी में एक ऐसा वक्त भी आता है जब उसे सबको अलविदा कहना पड़ता है .

दारा सिंह  की कमी हर उस क्षेत्र में अखरेगी जहाँ उन्होंने सफलता और कामयाबी के झंडे गाड़े ,पर फिल्मों में निभाए गए उनके अमर किरदार कभी भी हमारे दिल में उनके प्यार और सम्मान को कम नहीं  होने देंगे.

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