रविवार, 10 जून 2012

सत्यमेव जयते

आमिर  का शो अपने पहले ही एपिसोड से काफी लोकप्रिय हो चुका है .हिंदी चैनलों पर आने वाले तमाम रिअलिटी शोज से यह बिलकुल अलग   है .इस शो कि विषय वस्तु ,दृष्टि ,प्रस्तुति  और उद्देश्य सब हट के है .आमिर ने पहले एपिसोड में  कहा था की वो देश में  बदलाव  के सहयोगी  बनना चाहते   है .उनकी यह मंशा अब तक के सारे एपिसोड में साफ नजर आती है  .अपने शो में आमिर एक एक्टिविस्ट  की भूमिका में नजर आते है .बहुत जादा लाउड हुए बिना  वो समस्या की पूरी बारीकी से, कुशलतापूर्वक और कलात्मक ढंग से बखिया उधेड़ते है . यह शो आमिर की  सोच और उनके व्यक्तित्व की एक भिन्न छवि प्रस्तुत करता है .जहाँ एक ओर उनके समकालीन सिर्फ  तेल साबुन बेचने की होड़ में लगे है ,तो ऐसे में आमिर की यह कोशिश सराहनीय है .दूसरे  ढंग से कहे तो यह उनकी लोकप्रियता और मीडिया का सही इस्तेमाल है 
इस शो की टी .आर .पी ,मार्केटिंग और मुनाफे से जुड़े पहलुओं पर जरूर काफी शोध किया गया होगा और अब भी किया जा रहा होगा ,पर इन सब के बावजूद इस शो की अद्वितीयता से हम  इंकार नहीं कर सकते .इस शो में ऐसा बहुत कुछ है जो आमिर को और इस शो को अलग कतार  में खड़ा करता है .यह शो समाज के दमित ,अनछुए ,अचर्चित और बोल्ड विषयों को अपना लक्ष्य बनाता है .यह स्त्री ,बच्चो विकलांगो और प्रेम की बात करता है .हमें उन शर्मनाक सच्चाइयों से रूबरू कराता है जिनके या तो हम भुक्तभोगी है या फिर मूकदर्शक .ये हमें जिंदगी के ऐसे अँधेरे कोनो की सैर कराता है जहाँ हम जाने से घबराते है .यह हमारे सभ्य होने  की विशद पड़ताल करता है .हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सचेत करता है .
आमिर के शो के केंद्र में मनुष्य है और मनुष्यता भी .जीवन की बेहतरी का एक इमानदार स्वप्न है यहाँ जो हम रोज देखते है .

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