बुधवार, 13 जून 2012

अबके हम बिछड़े तो ....

न कोई आहट न कोई हलचल ,बहुत ख़ामोशी से विदा हो लिए मेहँदी हसन साहब , अरसे की बीमारी और मुफलिसी झेलने के बाद ..........पर संगीत की दुनिया के  वो शहंशाह थे ,ग़ज़ल सम्राट थे , एक जीवित किवदंती थे और एक नर्म ,नाजुक और बेहद मीठी आवाज वाले फनकार .पर अफ़सोस कि वो आवाज अब थम सी गई है .......हालाँकि यह लिखते हुए खुद ही यकीन नहीं हो रहा है,  कही से न जाने क्यों लग रहा है कि यह खबर झूठी है .
मेहँदी हसन साहब के जाने से संगीत की दुनिया में जो शून्य बन गया है,वह फिर न भरा  जायेगा .महफ़िलों में वह रेशमी आवाज फिर न गूंजेगी .ग़ज़ल की सल्तनत आज मानो  लावारिस हो गई है .ग़ज़ल की  दुनिया का  दैदीप्यमान सितारा आज सितारों की दुनिया का नागरिक हो चुका  है ,करोड़ो लोगो के चेहरे पे मायूसी थिरक रही है ,साज खामोश है और महफ़िलें तो जैसे  वीरान हो गई  है .
मेहँदी हसन ने ग़ज़ल गायकी को जिस मुकाम तक पहुँचाया ,वो एक न भूलने वाला इतिहास बन चुका है . उन्होंने पाकिस्तानी फिल्म संगीत को भी नए आयाम दिए .अपनी आवाज की बुलंदियों से उसे भी नवाजा .पर उनकी महानता  के असली मायने तो हमें गजल गायकी में ही देखने को मिलते है .ईश्वर के इस नेक बन्दे ने अपना पूरा जीवन संगीत को अर्पित कर दिया ,और  करोड़ो चाहने वालों के दिलो दिमाग में हमेशा के लिए बस गए .अपनी जिंदगी में भारत और पाकिस्तान की अवाम का जो प्यार, सम्मान और अपनापन उन्हें नसीब हुआ वह दुर्लभ है .
थोडा सा दुःख इस बात का जरूर होता है की अपने आखिरी दिनों में वो थोड़े अलग थलग से पड़  गए थे .कई बार खबरे आयी कि पैसों  के आभाव के चलते उनका इलाज ठीक से नहीं हो पाया .पाकिस्तानी सरकार  के प्रयासों में भी थोड़ी कमी दिखी .हमारे देश के कुछ कलाकारों ने उन्हें भारत बुला कर उनके इलाज की पेशकश की ,तो वो भी ठुकरा दी गयी .शायद एक महान कलाकार की यही नियति होती है .इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है .
पर तमाम सियासी बाधाओं ,अडचनों ,और सीमाओं को लाँघ कर उनकी आवाज हमारे कानों में सदा बरसती रहेगी .और हमारी जिंदगी को जादा खूबसूरत और जीने लायक बनाती  रहेगी .........फिलहाल ये वक्त है अपनी नम  आँखों को पोछने का .
 अलविदा .......! शाह -ए -ग़ज़ल .




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