सोमवार, 11 जून 2012

सचिन बने सांसद

संचिन का  सांसद बनना एक अच्छी खबर है या बुरी खबर ये तय  कर पाना थोडा मुश्किल है .यह सचिन के तमाम प्रसंशको के लिए एक खुशखबरी जरूर होगी पर इस सिक्के का एक दूसरा पहलू भी है जो कुछ अलग ही संकेत दे रहा है.
सचिन एक दिग्गज खिलाडी है जो लगातार सुर्ख़ियों में बने रहते  है.जब वो अच्छा  खेलते है तब और जब नहीं खेलते है तब भी .उनके करोडो फैन उन्हें सिर  आँखों पर बिठाये रखते है .उनको सांसद बना कर जैसे सरकार ने स्वयं को ही उपकृत किया है .साथ ही इस होहल्ले में वह अपनी खामियों को छुपा लेना चाहती है . जहाँ सरकार तमाम बुनियादी सवालों से मुह फेर रही है ,उनसे बचने की कोशिश कर रही है ,वहीँ  वो सचिन को सांसद बना कर और एक नए विवाद को जन्म दे कर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है .
सचिन को राज्यसभा में मनोनीत कर के सरकार  ने किसी सद्भावना का परिचय नहीं दिया है .दरअसल वो सचिन के चमचमाते चेहरे के पीछे खुद को छुपाना चाहती है .यहाँ कुछ प्रश्न है जिनका जवाब सरकार   से मिलना ही चाहिए .
पहला सवाल है कैसे ?सचिन को किस आधार पर राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया ?राष्ट्रपति द्वारा जो 12 प्रख्यात व्यक्ति राज्यसभा के लिए मनोनीत किये जाते है उनके कार्य क्षेत्र  या विशेषज्ञता  क्षेत्र का स्पष्ट उल्लेख संविधान में किया गया है .ये क्षेत्र . है -साहित्य ,कला ,विज्ञानं और समाजसेवा . खेल का कही कोई जिक्र नहीं किया गया है ऐसे में हमारी सरकार  को यह बताना चाहिए की महान  सचिन तेंदुलकर का योगदान इनमे से किस श्रेणी में आता  है .
दूसरा प्रश्न है सचिन ही क्यों ?यह सच है की सचिन एक सर्वाधिक लोकप्रिय समकालीन खिलाडी है पर हमारे देश में दिग्गज खिलाडियों की एक लम्बी फेहरिश्त  है .अगर क्रिकेट की ही बात करे तो ऐसे कई खिलाडी है जिनका चयन किया जा सकता था .पर हमारी सर्कार  तो जैसे उनका नाम तक नहीं जानती .यह विडम्बना ही कही जाएगी   की देश को अपनी कप्तानी में पहली बार विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव के प्रति अक्सर सौतेला व्यवहार किया जाता है .कई ऐसे मौके आए  जब सार्वजनिक रूप से उनकी उपेक्षा की गई .अभी ताजा  मामला आई . पी .एल -6 का है जब देश के टेस्ट क्रिकेटरों को सम्मानित किया गया और कपिल देव को इस सम्मान के काबिल नहीं समझा गया.यह क्रिकेट की ग्लेमरस  दुनिया की एक काली  तस्वीर है .
इन सारी  बातो के मद्देनजर सरकार  द्वारा सचिन को लगातार उपकृत करते रहना समझ से परे है .........

 
















 

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